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Environment News: तेज़ी से खिसक रहा उत्तरी ध्रुव, भविष्य में कैसा होगा धरती का हाल?

Environment News: पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड यानी चुंबकीय क्षेत्र यहां के जीवन के लिए बहुत जरूरी है। पृथ्वी के दो चुंबकीय ध्रुव या मैग्नेटिक पोल हैं एक उत्तरी और दूसरा दक्षिणी, पर देखने में आ रहा है कि उत्तरी ध्रुव शीर्ष बिंदु जो अब तक कनाडा में था, अब तेजी से रूस के साइबेरिया की ओर बढ़ रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका इंसानों पर असर जरूर होगा।

Environment News: पहले की तुलना तेजी से खिसक रही धरती

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने पताया गया है की वैसे तो उत्तरी ध्रुव के खिसकने की प्रक्रिया सैकड़ों सालों से चलती रहती है, पर बीते कुछ समय से यह तेजी से खिसक रहा है। इस बदलाव में तेजी से वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा है। ये वैज्ञानिक कई सदियों से उत्तरी ध्रुव के खिसकने की गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं।

Environment News: तेजी कर सकती परेशान

लाइव साइंस के मुताबिक ध्रुव अब कनाडा से हट कर 2250 किलोमीटर दूर साइबेरिया की ओर खिसक चुका है। उत्तरी ध्रुव के खिसकने की रफ्तार में तेजी साल 1990 और साल 2005 में देखने को मिली है। इस दौरान यह रफ्तार 15 किलोमीटर प्रतिघंटा से 50-6- किलोमीटर प्रतिघंटा की हो गई थी।

Environment News:इस ध्रुव की अहमियत क्यों है?

चुंबकीय उत्तरी ध्रुव कई इंसानी गतिविधियों के लिए बहुत अहम माना जाता है जिसमें नेविगेशन, विकिरण से रक्षा, और दुनिया के मैग्नेटिक मॉडल बनाने के लिए जीपीएस भी शामिल है। गौर करने वाली बात ये है कि चुंबकीय उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तरी ध्रुव से अलग है, जो एक ही स्थान पर रहता है क्योंकि यह वह स्थान है जहां सभी लॉग देशांतर रेखाएं मिलती हैं।

नेवीगेशन में अहमियत

इस अहम बिंदु के बदलाव को यू.के. से लेकर यू.एस. तक के वैज्ञानिक ट्रैक करते हैं क्योंकि यह हमारे स्मार्टफ़ोन और अन्य उपकरणों को नेविगेट करने की अनुमति देता है। यानी यह किसी आवागमन और यातायात के लिए किसी जगह लोकेशन को सुनिश्चित करता है। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे में वैश्विक भू-चुंबकीय क्षेत्र मॉडलर विलियम ब्राउन ने टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में कहा, “विमान, नाव, पनडुब्बी, आप जो भी नाम लें, वह सब इसका उपयोग करते हैं।”

कितना आ जाएगा अंतर

यदि यह गति इसी तीव्र गति से जारी रहती है, तो पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव अगले दशक में 660 किलोमीटर आगे बढ़ जाएगा. ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे (BGS) के वैज्ञानिकों के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप 2040 तक सभी कम्पास “शायद सच्चे उत्तर को ओर पूर्व की ओर इंगित करेंगे।”

दक्षिणी ध्रुव भी बढ़ रहा आगे

दक्षिणी ध्रुव भी आगे बढ़ रहा है पृथ्वी के चुंबकीय दक्षिणी ध्रुव के साथ भी यही हो रहा है, जो अंटार्कटिका के ऊपर पूर्व की ओर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह बदलाव हर 300,000 साल में होता है। लेकिन पृथ्वी के ध्रुवों की आखिरी अदला-बदली 780,000 साल पहले हुई थी, इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि हमें बहुत देर हो चुकी है।

आखिर ध्रुव क्यों घूम रहे हैं?

पृथ्वी के बाहरी कोर में पिघला हुआ लोहा अप्रत्याशित तरीके से बहता है, जिससे चुंबकीय ध्रुव बदल जाते हैं. श्री ब्राउन ने टाइम्स को बताया, “यह चाय के एक विशाल कप की तरह है। यह पानी की चिपचिपाहट वाला एक गर्म तरल है” जब ध्रुव बदलते हैं, तो एक समय ऐसा आता है जब चुंबकीय ढाल विपरीत पोलरिटी या ध्रुवता के साथ फिर से बढ़ने से पहले शून्य तक सिकुड़ जाती है।

यदि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र गायब हो जाए तो?

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र जीवन को बनाए रखने और तकनीकी प्रणालियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह दिखाई ना देने वाली ढाल पृथ्वी के आंतरिक भाग से अंतरिक्ष में फैली हुई।

यदि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र गायब हो जाए तो?

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र जीवन को बनाए रखने और तकनीकी प्रणालियों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दिखाई ना देने वाली ढाल पृथ्वी के आंतरिक भाग से अंतरिक्ष में फैली हुई है, एक सुरक्षात्मक बुलबुला बनाती है और ग्रह को सौर पवन से बचाती है, जो सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों की एक धारा है। लेकिन क्या यदि यह महत्वपूर्ण चुंबकीय क्षेत्र गायब हो जाए, तो इसके परिणाम बहुत गंभीर होंगे, जो पर्यावरण से लेकर मानव स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी तक सब कुछ प्रभावित करेंगे। बिना सुरक्षा कवच के, घातक विकिरण पृथ्वी तक पहुंच जाएगा, जिससे जीवित कोशिकाओं की उत्परिवर्तन दर बढ़ जाएगी और पशुओं में कैंसर हो जाएगा।

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